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यादों के झरोखे से लेखनी कहानी -14-Nov-2022 भाग 2


              यादों के झरोखे से  भाग २
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   जनवरी 2022 का महीना डर में ही ब्यतीत हुआ। क्यौकि मै उस समय गुरूग्राम में था। अतः हमारी सोसाइटी में बाहर निकलने पर पावंदी थी। अतः घर से कम निकलते थे 

    इसके बाद आया फरवरी का महीना।  इस महीने में कुछ राहत की सांस आई थी।मै भी बाहर आने जाने लगा । हमारी सुसाइटी में जन्मदिन की पार्टिया होना आरम्भ होगयी।

       6 फरवरी को मेरी दोहती का दूसरा जन्म दिन था। वह करौना के समय में ही दो वर्ष की होगयी थी। अब हम सबने उसका जन्मदिन मनाने का फैसला लिया।

   6 फरवरी को हमने अपनी दोहती नित्या का जन्मदिन मनाया। बहुत समय बाद बाहर से केक मंगाया गया नही तो पिछले दो वर्षौ में होम मेड केक ही काटा गया था।

       इस करौना ने हमें सभी कुछ बनाना सिखा दिया था। करौना का समय हमें बहुत ही याद आयेगा। इस समय ने मानवता को शरमशार कर दिया था। मानवता मर चुकी थी।  इस समय में कुछ लोग ऐसे भी थे जो सेवा भाव से समर्पित थे।

     हम सबने उसदिन खूब धमाल किया था। सभी खुश थे इसके बाद बहुत कुछ खुल चुका था।  शादियौ मे लिमिट भी समाप्त सी होगयी थी। इससे पहले मेरी रिश्ते दारियौ में तीन चार शादियां हुई उस समय मैं मुम्बई में था उन शादियौ में यू पी नही पहुँच सका था।

      करौना से हमें बहुत कुछ सीखने को मिला। तुलसी दासजी ने रामचरितमानस में सत्य ही कहा है:-

       धीरज धरम मित्र और नारी।
       आपतकाल परखिये ये चारी।।

    अर्थात धीरज ( धैर्य) धर्म मित्र और पत्नी इनको आपत्ति के समय ही परखा जा सकता है कि यह चारौ कितना साथ देते है। जब आपत्ति आती है तब सबसे पहले धैर्य साथ छोड़ देता है। इसके बाद हमारा धर्म भी डगमगाने लगता है फिर मित्र भी साथ छोड़ जाते है और  कभी कभी पत्नी भी रूठकर  साथ छोड़देती है जो अच्छे मित्र व पत्नी होती है वह साथ देते है।

              करौना महामारी ने इनको परखने का  अवसर दिया था।
आज के लिए बस इतना  ।

#2022 यादों के झरोखे से

नरेश शर्मा " पचौरी "

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6 Comments

Radhika

09-Mar-2023 01:00 PM

Nicr

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अदिति झा

03-Mar-2023 02:39 PM

Nice 👍🏼

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Teena yadav

22-Nov-2022 07:45 PM

Superb

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